मेरे मरने के बाद,
मित्रो ! कल मेरे जाने के बाद के लिए लिखी गई मेरी यह क्षणिका , आज की व्यवस्थाओं को अपने इर्द-गिर्द देख कर लिखी गई है, मन कहता है, जीवन के उस पार भी कहीं यही लेन - देन तो नही होगा !!?
धांधली
यमदूत लेखा लेंगे,
यमराज धमकी देंगे॥
वहां भी देखना होगा,
क्या कुछ ! ले-देकर
बात बनानी होगी॥
कृमशः
2 comments:
अच्छा व्यंग्य। इंतज़ार रहेगा
satyendra ji ! shukriya..
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