प्रिय पाठको !!
लीजिये एक और अनुभूति आपसे बांटता हूँ,
कल का चलन ??
आधुनिकता के उस दौर में,
शायद तुम मुंडन भी न कराओ॥
तीसरे दिन,
तुम व्यवसायी होने पर,
दुकान खोलने की जल्दी मे रहोगे॥
और नौकरी पेशा होने पर,
हाफ टाइम करने की कोशिश मे॥
जैसा भी हो,
देख लेना !
सुविधा से,
अस्थि विसर्जन॥
(कृमशः)
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