Sunday, June 15, 2008

मेरे मरने के बाद,-९ (कल का चलन ??)

मेरे मरने के बाद,

प्रिय पाठको !!

लीजिये एक और अनुभूति आपसे बांटता हूँ,

कल का चलन ??

आधुनिकता के उस दौर में,
शायद तुम मुंडन भी न कराओ॥
तीसरे दिन,
तुम व्यवसायी होने पर,
दुकान खोलने की जल्दी मे रहोगे॥
और नौकरी पेशा होने पर,
हाफ टाइम करने की कोशिश मे॥
जैसा भी हो,
देख लेना !
सुविधा से,
अस्थि विसर्जन॥

(कृमशः)

1 comment:

Udan Tashtari said...

कितना उदार चिन्तन पीछे छूट जाने वालों के लिए.