मेरे मरने के बाद॥
दोस्तों, प्यार का एहसास मानव के जीवन पथ मे एक नई जीवन गाथा लिखता है, पर ये भी एक मोह पाश ही है,
एसी ही मेरी काल्पनिक प्रेयसी जो नही है अब, थी क्या ?? ये मत पूछिये, प्रासंगिक नही है॥
मेरे मोह की गाथा सुनिए, लीजिए पेश है पांचवा पायदान ,
" मेरा मोह- तुम"
तुम न हो कर,
मेरी जिंदगी को,
करती हो वीरान,
मरघट॥
और यादों मे,
आ- आ कर,
करती हो,
कपाल क्रिया॥
तुम आज,
दूसरो की दुनिया ,
हो कर मुझे,
जलाती हो॥
और मेरी ही,
मजबूरियों की
अश्रु गंगा मे,
मुझे बहाती हो॥
सब कुछ ,
कर दिया, करती हो,
क्या ? अलग होगा,
मेरे
मरने के बाद॥
(कृमशः )
1 comment:
vha bhut khub.bhavnatmak rachana. likhte rhe.
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