Friday, May 2, 2008

मैं फिर लिखना चाहता हूँ, सुन्दर कविता !!

मैं फिर लिखना चाहता हूँ,

सुन्दर कविता !!

फिर लिखने से पहले,

रुक जाता हूँ ये सोचकर-

क्या तुम फिर वापस आओगी ??

पहनोगी मेरे शब्दों के लिबास,

सुहाग की लाल साड़ी उतारकर ..

क्या sajaogi अपनी मांग मे-

मेरा शब्द सिन्दूर,

सुहाग की लाल रोली निकाल कर ॥

मेरा मन है लिखूं सुन्दर कविता,

तो क्या ! ? तुम फिर वापस आओगी ॥

kya पहनोगी मेरी धडकनों के-

jhanakte नुपुर,

अपनी सुहाग कि पायलें उतार कर॥

मेरी शब्द बाहें पड़ते ही utaarni होगी-

स्वर्ण मेखला,

सुहाग का मंगल सूत्र ॥

क्या तुम वापस आओगी !!?

पूछता है मन,क्यूंकि

में फिर लिखना चाहता हूँ,

एक सुन्दर कविता ..