आइए ज़िन्दगी के कुछ इत्तेफकों की बात करें,
उन्मान है , sorry!
मैंने उससे पूछा!
उसने मुझसे कुछ कहा??
इससे पहले वो कुछ कहता,
मैंने उससे कहा,
मुझे लगा जैसे आपने कुछ कहा॥
इस पर वो कुछ कहता।
मैंने फिर उससे कहा,
कभी-२ हो जाता है॥
उसने कुछ कहने के बजाय,
मुस्कुरा दिया,
ऐसा भी होता है॥
कभी-२ sorry!चाँद को लेते हैं, कभी मामा तो कभी सनम, कभी इसका कभी उसका, कैसे ??? लीजिए बताता हूँ,
आज चौदहवी का,
कल पूनम का ,
कितना बेवफा है,
किसी एक का हो न सका॥
आफ़ताब !
वो दाग है,
ये दिलनशीं,
या पड़ गईं हैं झुर्रियां!
उम्रदराज हो कर भी,
क्यूँ बदनाम होना चाहते हो॥
अब एक रोमांटिक क्षणिका !!
तुमने अन्दर आने का पूछा !
मैंने दी अनुमति!!
मगर फिर भी,
उतना अन्दर,
न आ सकी,
जितने अन्दर तक,
आने के लिए ,
मैंने दे दी थी अनुमति !!
4 comments:
अच्छे भाव .. सुंदर क्षणिकाएं।
उतना अन्दर,
न आ सकी,
भावपूर्ण रचना
बहुत सुंदर.
आज चौदहवी का,
कल पूनम का ,
कितना बेवफा है,
किसी एक का हो न सका॥
:):)
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