प्रेयसी, परिणिता हुई,
हो गई धडकन साथ।
जाऊँ अब में कहीं,
होती है वो साथ।।.
चेहरा उसका सामने,
नहीं नज़र से दूर।
स्वप्न सुंदरी वही है,
वो खुली पलक का नूर।।
मुझको उसका चाहना,
जैसे चातक की चाह।
ह्रदय बना है नाविका,
बनी है वो मल्लाह।।
साँस साँस का साथ ये,
जब तक सांसों में साँस।
उसकी इतनी आस है,
मेरा है विश्वास।।
No comments:
Post a Comment