मित्रो तमाम कह जाने के बाद भी कुछ शेष रह जाता है,
देह से प्राण चुक जाते हैं॥
गौर फर्मायिएगा मेरा उन्मान, शेष .......
प्रष्ठ कम हैं शेष,
लिखना अभी विशेष।
बहुत है मन मे,
अति शेष॥
मगर सांसो का क्या,
ये अनिमेष॥
सब धरा रह जायेगा ,
इसी धरा पर,
हो विशेष,
या अति-विशेष।
जब होगा नहीं,
देह में ही,
जीवन कुछ शेष॥
लगने लगेंगे,शब्द कम,
कम अनुभूतियाँ,
प्रष्ठ भी अतिरेक,
सब कुछ समा ही जाएगा,
एक शब्द होगा मौत का,
मौन हो जाएगा- राकेश॥
2 comments:
aapne kuch nhi bahut kuch kah diya...........ab hum kya kahein.
shukria vandana ji
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