इसने-उसने
जिसने चाहा
जो चाहा
कह डाला है,
वो मौन हो गई
ज़हर पी लिया
जीवन का
अब मृत्यु ही
अंतिम हाला है।
ईश्वर ने
जो चुना अंत में
वह इंसाफ
ज़ुरूरी था
तार-2 हो,
इस दुनिया में
वरना रोज़
उधडती वो।
जो हुआ
घिनौना
एक बार तो
हर माँ-बहिना है
घायल,
हर रोज़
फब्तियां सुनती
तो फिर
कैसे सहती
वो मुश्किल।
चिर शांति के
पन्ने श्वेत
उस बिटिया
को रखो समेट,
अपने पन्ने
रखना बंद
ताकि वो न
हो शर्मिंद।
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