अब अखबार मंगाने मे
लगता है डर...
एक रोज़ गलती से,
पड़ गया पानी,
शब्द स्याही कि जगह,
लहू बन के बह निकले..
कुछ और नहीं होता,
मौत और मौत,
बस मौत छपी होती है,
झरोखे सी कोई जगह हो
तो कोइ अबला,
इज्ज़त के लिए रोती है..
कोई छोड़ गया होता है
रोता हुआ बच्चा,
किसी माँ का तो आता ही नहीं
जो पढने गया था सुबहा.
कोई मुक्कम्मल सी बजह नहीं
कि अब अख़बार पढ़ें घर में
अब तो दिल पत्थर का हो तो
अख़बार लगे घर में..
कि ख़बर पढ़ता हूँ, तभी
बेटी को जाना होता है स्कूल,
सहम कर भेज तो देता हूँ
फिर पलटता हूँ वही ख़बरें,,
कि दुपट्टा ओढ़ के गई थी,
मगर झीना था बहुत..
फाड़ के वसन, चीर ली इज्ज़त,
अज्ञात थे कोई पता नहीं पाया,
पुलिस ने पड़ताल करी,
हाथ नहीं कुछ आया.
अब अखबार मंगाने मे
लगता है डर...
एक रोज़ गलती से,
पड़ गया पानी,
शब्द स्याही कि जगह,
लहू बन के बह निकले..
लगता है डर...
एक रोज़ गलती से,
पड़ गया पानी,
शब्द स्याही कि जगह,
लहू बन के बह निकले..
कुछ और नहीं होता,
मौत और मौत,
बस मौत छपी होती है,
झरोखे सी कोई जगह हो
तो कोइ अबला,
इज्ज़त के लिए रोती है..
कोई छोड़ गया होता है
रोता हुआ बच्चा,
किसी माँ का तो आता ही नहीं
जो पढने गया था सुबहा.
कोई मुक्कम्मल सी बजह नहीं
कि अब अख़बार पढ़ें घर में
अब तो दिल पत्थर का हो तो
अख़बार लगे घर में..
कि ख़बर पढ़ता हूँ, तभी
बेटी को जाना होता है स्कूल,
सहम कर भेज तो देता हूँ
फिर पलटता हूँ वही ख़बरें,,
कि दुपट्टा ओढ़ के गई थी,
मगर झीना था बहुत..
फाड़ के वसन, चीर ली इज्ज़त,
अज्ञात थे कोई पता नहीं पाया,
पुलिस ने पड़ताल करी,
हाथ नहीं कुछ आया.
अब अखबार मंगाने मे
लगता है डर...
एक रोज़ गलती से,
पड़ गया पानी,
शब्द स्याही कि जगह,
लहू बन के बह निकले..
1 comment:
Very nice post.....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.
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