Thursday, September 10, 2009

का बरखा जब कृषि सुखानी


कल से हो रही बेसुध बारिश से मन मे उपजी एक विचार चेतना,

एक बेसुध बारिश,
खबर से परे,कि,
अब तक रुका नहीं,
कोई किसान,
उसका एहसान लेने..

कईयों ने फेक दिया बीज,
माँ धरती कि कोख मे,
सोचे बिना,
कि तुम आओगे या नहीं,
करने उन्हें फलित,
करने सम्भोग...

तुम तो हो गए हो,
आवारा, मेघ,
कर्त्तव्य विमूढ़ शायद,
जब चाहो,
रखते हो मौन,
चाहे जब गरजना,
चालू कर देते हो..

कितनो ने तो,
छोड़ ही रखा है,
खाली का खाली,खेत.
धूल उड़ गई,
उड़ गई रेत,
क्यूँ आ गये मुह दिखाने,
अब, क्या हुआ अंतर्द्वंद्व.

ऐसा ही हो गया है,
हमारा समाज,
बेटा तब आता है,
वापस घर रात को,
जब माँ, टूट कर ,
सो जाती है,

और संताने,
तब आती हैं राह पर
जब पिता को,
आ चुका होता है,
हृदयाघात..

स्त्री पर तब ,
आता है प्रेम,
जब पढ़ चुके होते हैं,
तलाक..

तब पता चलती है,
सही राह,
जब हो चुका होता है,
बड़ा वर्ग , गुमराह..





12 comments:

Mithilesh dubey said...

बहुत खुब भाई। आपकी ये रचना दिल को छु गयी। बहुत खुब मार्मिक रचना.......

संजय तिवारी said...

लेखनी प्रभावित करती है.

vandana gupta said...

sahi kaha..............prabhavshali likha hai.
read my new blog
http://ekprayas-vandana.blogspot.com

कंचन सिंह चौहान said...

ऐसा ही हो गया है,
हमारा समाज,
बेटा तब आता है,
वापस घर रात को,
जब माँ, टूट कर ,
सो जाती है,

और संताने,
तब आती हैं राह पर
जब पिता को,
आ चुका होता है,
हृदयाघात..

स्त्री पर तब ,
आता है प्रेम,
जब पढ़ चुके होते हैं,
तलाक..

तब पता चलती है,
सही राह,
जब हो चुका होता है,
बड़ा वर्ग , गुमराह..


bahut sateek likha Rakesh

संगीता पुरी said...

गजब की रचना है .. बहुत सुंदर अभिव्‍यक्ति !!

Prem said...

sunder rachna bhavpoorn abhivyakti badhai

राकेश जैन said...

sabhi shreshthi jano ka shukria.

हरकीरत ' हीर' said...

कईयों ने फेक दिया बीज,
माँ धरती कि कोख मे,
सोचे बिना,
कि तुम आओगे या नहीं,
करने उन्हें फलित,
करने सम्भोग...


sashkt lekhan ....!!

rajiv said...

आप तो बढ़िया ब्लॉगर हो . कविता से आपकी सृजनशीलता दिखती है बधाई खूब लिखें अच्चा लिखें

rajiv said...
This comment has been removed by the author.
राकेश जैन said...

aap sabhi AAYE, mujhe parha, saraha..bahut achcha lagta hai.

Jeetu Biswas said...

wah yaar ye to dil ko chhoo lene wali baat kahi...