दोस्तों, देखिये न फीर कोई ज़िन्दगी मे आया, और कहने लगा इस बार तो हम मजबूर हैं, अगले जनम तेरे सनम,,,
हम से पूछिये क्या होता है दिल का, हाल॥ फिल हाल तो सुनिए इस बात के निकलने के बाद की बात का ज़िक्र!!
उसने माँगा है मुझे,
अगले जनम के लिए,
क्या सौगात दूँ,इस बात पर,
अपने सनम के लिए॥
मैं भी बुन रहा हूँ किस्से ,
जो बनेंगे जिंदगी के हिस्से,
तुम और मैं जब हम हो जाएँगे,
धड़कन -२ मैं बंध जायेंगे॥
पर अब हम किसी शहर मे नही मिलेंगे,
कोई छोटा गाँव देख ,हम पैदा होंगे,
एक झरना, एक पर्वत होगा,
गाय, बकरियां भेड़े होंगी।
कश्मीरी लड़की सी तुम,
सुंदर पोषा पहन कर आना,
मुझ ग्वाले को एक पोटली,
रोटी सत्तू बंध के लाना ॥
बैठ पर्वतों पर जीवन को गायेंगे हम,
अपनी गोद मे सर तेरा रख,
जुल्फों को सहलायेंगे हम॥
तुम नज़रों से छेड़ोगी ,और,
पलक झुका लोगी पल भर मे॥
फिर पलकों को ऊपर कर,
फलक उठा लोगी पल भर मे॥
मैं लिखूंगा, कवितायें,
तेरे रूप की तेरे रंग की।
गा-गा कर तुम्हे सुनाऊंगा,
मधु राग और नव-तरंग भी॥
मधुशाला से तेरे होंठ ये,
हो जायेंगे मेरे अपने,
सच हो जायेंगे सब सपने॥
धीर धरोगी, और मुझे भी,
धीरवान कर दोगी तुम,
मुझे मिलोगी जिस दिन प्रिय तुम,
कंचन जीवन कर दोगी तुम॥
8 comments:
सुन्दर शब्दों के संयोजन से युक्त ....अति सुन्दर रचना...
bhagwan kare aapko aapki mahabooba mil jaye ................kawita me prkriti hi prakriti hai.........film ki tarah lagati aapki kawita
सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकारें।
बढ़िया है, लिखते रहें.
अब जल्द ही कल्पनाएं यथार्थ का रूप धरें..यही मेरा आशीष...!
बहुत सुंदर भाव भरी कविता राकेश...! खुश रहो..!
kavita ke bhav bahut hi sundar hain.
shukria ! shukria ! Shukria
achhi kavita hai, dilke bhav ka sunder varnan hai
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