Sunday, June 14, 2009

एक कविता तुम पर॥

एक रोमांटिक भाव

कविता, फुनगी पर,

चहकती एक चिडिया पर,

एक कविता, घिर आए बादरों पर,

कविता एक, रिमझिम-२

सावन पर॥

और, एक कविता तुम पर॥

लंबे बालों को जूडे मे,बांधे

एक लड़की पर,

मचलती, चहकती,

एक बातूनी लड़की पर,

और, एक कविता तुम पर॥

आषाढ़ मे आशा लगाए,

मेघों से,दरकती हुई ज़मीन पर॥

धरती मे धंसे प्यासे कुँए पर,

चंद्रमा पर कविता,

सितारों पर कविता,

और एक कविता तुम पर॥

गुलाबी-सफ़ेद पोशाक पर,

गाल मे पड़े गड्ढे पर,

अपने वर्ण पर, कद पर,

काया के सौष्ठव पर,

यही है प्रिये!!

एक कविता तुम पर॥

8 comments:

अनिल कान्त said...

bahut khoobsurat bhav hain ji

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

ओम आर्य said...

खुबसूरत भाव...........

अजय कुमार झा said...

बहुत ही सुन्दर कविता है ..लिखते रहे...

vandana gupta said...

waah ..........kya bhav hain ........bahut khoobsoorat

RAJNISH PARIHAR said...

मुझे आपकी कविता और परिचय दोनों अच्छे लगे...अच्छा लिखते है आप...

विवेक said...

बहुत सुंदर कविता...

कंचन सिंह चौहान said...

kavita sundar thi....! dekho na sabhi kah rahe haiN

राकेश जैन said...

ke bal milta hai , wo kahte hai jo bahut achchha,


Kahne se hi hota hai, bhala thoda bahut achha.