फूल की कहानी, जो मैंने सुनी उसने कही।
आप भी वजह फरमाएं -
शूल नहीं चुभता तुमको,
गर फूल नहीं तोडा जाता॥
और फूल एक न बचता,
गर शूल से मौका छोड़ा जाता॥
कितने हैं बदमाश सरल,
जो बात बताते हैं पूजा की,
पर मन में होता भावः विनय का,
एक फूल न तुमसे तोडा जाता॥
ये बात अलग है,
फूल स्वयं लालायित था,
प्रभु चरणों मे आने की खातिर,
तब ही तो वो शूल (सुई) सहारे ,
धागे मैं गुथ माला बन जाता॥
पर छल के पर्याय देखिये,
अपनी-अपनी श्रद्धा कह कर,
कितने फूलों को तोडा जाता॥
फूल मृदु का कहिये संयम,
जो मौन समर्पण करता जाता॥
पर शूल, साधू sam सरल जताता,
ग़लती का एहसास कराता ,
कहता माली मत बन कातिल,
प्रभु नही रखते मृत की आशा॥
और जो तू चाहे, करना गर अर्पण,
क्यूँ नहीं, नव जीवन रोपे,
एक पौधे मे फूल ugaata॥