Thursday, January 31, 2008

चूं-चूं

मेरे आँगन मे आती है,
चूं-चूं चिडियाँ॥
मेरे आँगन मे जाने पर,
चिड सी जाती हैं,
उड़ ही जाती हैं,
चूं-चूं चिडियाँ..
मैं कैसे समझाऊ,
मैं अहिंसक,
उसके कृत का,
अनुमोदन करता हूँ,
आखेट नही,
दाना देना मन है मेरा,
साजिश का संदेश नही..
पर जाने क्यों,
वो मुझ पर शक करती हैं..
मेरे आँगन मे जाने पर,
जा उड़ती हैं चूं-चूं चिडियाँ॥