Friday, January 8, 2016

लव लव लव लवेरिया हुआ..

लव लव लव लवेरिया हुआ... नए साल के आगाज़ में जगह-जगह बगीचों में नव युगलों का गलबहियाँ करना शहरों में आम हो चला है। लेकिन ऐसी घटनाएँ कभी-२ वैज्ञानिक पहलुओं पर विचार करने पर विवस करती हैं।
मुझे पता नहीं नाना पाटेकर पर फिल्माए इस गीत में फिल्म राजू बन गया जेंटलमेन के कथा लेखक/ गीतकार ने इस जुमले की अटकल कैसे लगाई किन्तु आज मैं इस के जरिये मेडिकल क्षेत्र की ऐसी खोज की घोषणा करने जा रहा हूँ जो न्यूटन के अविष्कार की तरह महत्वपूर्ण और पेड़ से टपकी हुई है।
यह एक ऐसा तथ्य है जिसके जानने के बाद स्वास्थ्य के प्रति गंभीर व्यक्ति लवेरिया से दूरी बनाना शुरू कर देंगे। विस्मित होंगे, खास तौर पर मेरे मित्र जो नवोदित युवा हैं या इसी उम्र के आस-पास हैं, कदाचित सुकूनमय दांपत्य जीवन जी रहे जोड़े भी इस रोग के गंभीर परिणामों के बारे में जानना तो चाहेंगे क्यूंकि उनके जीवन में भी जब लवेरिया नाम का वायरस अति सक्रिय हो जाता है जो कि अक्सर सर्दिओं और गर्मिओं की छुट्टीओं में फीमेल sentimatia और children requestaform की विचारों के इर्द-गिर्द जमा होने की वजह से होता है और उन्हें घूमने किसी प्राकृतिक स्थल पर जाने को प्रेरित करता है।
चलिए अब मुद्दे की बात बताते हुए आज के अविष्कार को घोषित कर दूँ। (संभवतः आप इसे अपने बच्चों के सिलेबस में निकट भविष्य में ज़रूर पाएँगे ।) तो बता दूँ कि लवेरिया शब्द मलेरिया से उपजा नहीं बल्कि यह मलेरिया बीमारी की प्राथमिक स्थिति है और मलेरिया से पहले ही विद्यमान होता है। जब दो प्रेमी अपनी उत्कंठ आकर्षण वृत्ति के कारण किसी उपवन में घने वृक्षों के नीचे पड़ी बेंच पर नैनों की उथली झीलों में डूबते निकलते हैं तब इन झीलों में लम्बे समय से जमा कीचड़ के समीप मच्छरों का व्याप्त होना स्वाभाविक होता है और ये प्रेमीजन एक दूसरे में संलिप्त लवेरिया में इतने तल्लीन होते हैं की कब मच्छर इनके अंगोपांगों को इतनी जगह चूमते हैं की लवेरिया कब मलेरिया बन जाता है पता ही नहीं चलता। अविष्कार ये भी सिद्ध करता है कि मलेरिया जो जघन्य है स्वास्थ्य उपचारों से ठीक हो सकता है पर यदि प्राथमिक बीमारी लवेरिया एक बार हुई तो कितने ही कैलेंडर बदलें, ठीक नहीं होती और लाइलाज है। नववर्ष आपके जीवन में लवेरिया फैलाये किन्तु सावधान इसे अपने घर में पनपने दें, बागों में बहार के साथ मादा एनोफिलीज़ भी है। .......Happy 2016 !!!!
-राकेश जैन
( भारत वन मुंबई में संध्या भ्रमण के समय उपजा एक व्यंग्य )

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