Tuesday, February 1, 2011

तुम पर लिख दूं सुन्दर कविता....




प्रेयषी जो अर्धांगनी होने को है....


तुम पर लिख दूँ सुन्दर कविता,

शब्दों का श्रंगार करूँ॥

आ कर बैठो, मेरे सम्मुख,

तुम से नैना चार

शर्म हया की चादर छोड़ो,

तो थोडा खुल कर प्यार करूँ॥

हाथों मे हाथों को डालूँ,

परिणय को स्वीकार करूँ॥

झुकी पलक और नीची गर्दन,

क्या तेरा मनुहार करूँ॥

तुम पर लिख दूँ सुन्दर कविता,

शब्दों का श्रृंगार करूँ॥

अपना कह कर ह्रदय बसाया,

क्या इसका बिस्तार करूँ?

नम पलकों मे मुझे बिठाया,

क्या इसका आभार करूँ,

तुम पर लिख दूं सुन्दर कविता....


7 comments:

Anonymous said...

"It is just superb, really tooooooooo nice."

vandana gupta said...

लयबद्ध सुन्दर कविता।

Unknown said...

तुम से नैना चार - करूँ

कंचन सिंह चौहान said...

एक तो मैं इतनी देर से सुंदर को सिंदूर पढ़ रही थी....!

तो सिंदूर ही सही...!!

फिर ये जिस अज्ञात का tooooooooooooo कुछ ज्यादा लंबा हो गया, कहीं उसी पर तो नही लिखनही ये कविता :P

युगल को आशीष...!!

Kailash Sharma said...

सुन्दर भाव और शब्द संयोजन..सुन्दर कविता..

JinVaani Team said...

Beautiful :))

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।