मेरी नहीं, न मेरे बच्चों की ही,
सबकी ही होती है,
सबसे ज्यादा अच्छी माँ॥
ममता का वरदान बांटती,
आंच न आये बच्चों को,
जतन यही वो रखे लगा कर,
तब कहलाती अच्छी माँ॥
एक माँग पर अगर मना हो,
फुला के मुंह, हम बैठे कोने,
छाती में अपनी भर-भर कर,
अच्छा बुरा बताती माँ॥
मन उदास हो, रूखा हो मन,
झगडा कर आया है बेटा।
चेहरा देख समझती माँ॥
मौन रहो तो पूछे,क्यूँ चुप?
बोलो ज़्यादा तो भी टोके,
मर्यादा के बंध हैं कितने,
ये भी पाठ पढ़ाती माँ॥
फुनगी पर से शोर मचाते,
चिड़िया के छोटे बच्चों को,
मुह भर दाना लाती माँ॥
तुअर, चावल, सब्ज़ी,पापड़,
थाली का श्रंगार देख लो।
तुलसी,मंदिर,दीपक-बाती,
हर ख़ुश्बू में- मिल जाती माँ॥
आज बैठ कर दिवस मनाते,
एक दिन में अधिकार जताते,
वो रोज़-२ उतनी ही पावन,
कहाँ मौके कि मोहताज है माँ॥
छंद, काव्य, गीतों से क्या हो,
कितना-२ कौन लिखेगा,
कभी कलम से, कभी आँख से,
कविता बन बह जाती माँ॥
8 comments:
मां तुझे सलाम...
बहुत सुंदर माँ को समर्पित रचना... मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
Great post :)
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bahut khoob sir aankhein nam ho gayi...
माँ को समर्पित रचना ..... बहुत सुन्दर भाव ...
माँ को सादर नमन!
As always its one of your best. Vinod
bhaiya bahut achchhi thi kavita, aur apke thoughts ka to kahna hi kya?
very nice ,its really to tuch my heart.
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