Sunday, August 9, 2009

वीर की राखी

सावन आया और मन मे जगा नेह, बहिन का भाई पर अतुल नेह॥

इस बार कुछ अवसर एसा बना की लग ही नही रहा था की दीदी के पास जाना हो पायेगा, लेकिन फ़ोन पर बात हुई और मुह से निकल गया दीदी आप घर (shahpur) पहुँच जाओ, तीनो भाईओं को राखी बांधनी हो तो ! बस उनको तो बात जम गई, उन्होंने किसी भाई को नही कहा की कोई लेने आ जाओ, उन्हें सबकी व्यस्तता का एहसास था, उन्होंने दोनों बच्चों को कार मे बिठाया और आ गई झाँसी से शाहपुर (Sagar) । हमने भी सारी मजबुरिओं को खारिज किया और रात ३ बजे बैठे लोह्पथ गामिनी मे और उषाकाल मे घर ... लखनऊ से कंचन दी ने भी भेजी थी बहुत सुंदर राखी तो सोचा कलाई पे तो बहिन ही बांधेगी॥

कल रात कंचन दी से बात हुई तो ज़िक्र हुआ वीर भइया का, दी से दिल का मर्म सुनकर मुझे कुछ भाव जगे , मैने फ़ोन रखते ही diary मे उतार लिए, और वापस लगाया दी को फ़ोन॥ वादा किया की आज की पोस्ट कलाई के धागे के नाम,

पढिये एक बहिन का राखी संदेश उसके फौजी वीर भैया के नाम, यह कविता गई भी जा सकती है...

गा कर देखिये ..आपको सुंदर लगेगा इसका राग।

वीर भइया को भेजी है राखी,

धक२ अब ये कलेजा करेगा।

बाँध लेना तुम ख़ुद ही कलाई,

नेह मेरा तुम्हे जो मिलेगा॥

भाल रखना तो अंगुली ज़रा पल,

टीका उभरा हुआ सा लगेगा।

वीर हो कर सिपहिया गए हो,

पूरा भारत ही अपना लगेगा।

मैं अकेली नही तेरी बहिना,

तुझे हर बहिना का टीका सजेगा।

तुम हो कर वहां ,हो यहाँ भी,

करते बहिनों की इज्ज़त की रक्षा।

इससे और बड़ा क्या मेरे भैया,

राखी बंधाई मे मुझको मिलेगा॥

4 comments:

गौतम राजऋषि said...
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गौतम राजऋषि said...

ये लो तीन बार कोशिश कर चुका हूँ...ये मेरे शब्द पोस्ट हो नहीं पा रहे हैं इस कमेंट बाक्स में\ ओके आखिरी प्रयास...आज पहली बार आया तुम्हारे ब्लौग पर राकेश...अच्छा लगा आना।
ये विशेष कविता तो कल ही पढ़ ली थी मैंने मोबाईल पर...बहुत अच्छा लिखते हो...keep it up!
तुम्हें फौलो करता हूँ अब से...

कंचन सिंह चौहान said...

tabhi to likh rakha hai maine apne blog par ki tera mujh se hai pahale ka nata koi..!

varna kaun meri bhavna ko is tarah shabda de pata...! GOD BLESS YOU ....!

राकेश जैन said...

Dhanyabad Veer ji, Maine bhi apake bare me jab di se suna to dil jazabaton se bhar aya tha ..

Di Pranam! Tera mujhse hai pahle ka naata koi...