Monday, November 12, 2007

अनंत शक्ति

कितना बढिया अर्थ है,
कितनी बढिया है लिखावट ॥
पर, न शब्द दिखते हैं कहीं,
न शब्दकार का पता॥

कितना बढिया चित्र है,
कितनी बढिया है बनावट॥
पर न चित्र दिखता है कहीं,
न चित्रकार का पता ॥

महसूस पर होता रहा,
परिकल्पना बनती रही॥
प्रत्यक्ष पर दिखा नहीं,
और परोक्ष का क्या पता॥