प्रेयषी जो अर्धांगनी होने को है....
तुम पर लिख दूँ सुन्दर कविता,
शब्दों का श्रंगार करूँ॥
आ कर बैठो, मेरे सम्मुख,
तुम से नैना चार
शर्म हया की चादर छोड़ो,
तो थोडा खुल कर प्यार करूँ॥
हाथों मे हाथों को डालूँ,
परिणय को स्वीकार करूँ॥
झुकी पलक और नीची गर्दन,
क्या तेरा मनुहार करूँ॥
तुम पर लिख दूँ सुन्दर कविता,
शब्दों का श्रृंगार करूँ॥
अपना कह कर ह्रदय बसाया,
क्या इसका बिस्तार करूँ?
नम पलकों मे मुझे बिठाया,
क्या इसका आभार करूँ,
तुम पर लिख दूं सुन्दर कविता....