Friday, November 23, 2007

हाशिया (Margin)

पसारने से पहले,
ख्वाहिश...

सोचता हूँ कई बार ,
"दायरों के बारे में"॥

और रोकता हूँ खुद को,
सोचकर...

यूं ही बेकायदा होकर,
नहीं लिखा करते,
इबारतें....

लिखने से पहले ,
आड़े व खड़े ,
हाशिये....
बनाते हैं॥

Monday, November 12, 2007

पर पीढा

जिसने खोदा उसे बताया गया,
की उसने कितना गहरा खोदा॥
जिसने बताया उसे खोदना नहीं आता,
उसे सिर्फ मापना आता है॥
गहराइयां बनाना और उन्हें मापना,
कितना अलग-२ क्रम है!
मेरे दुख में पाट लेता हूँ ,
पर उन्हें मुझसे बेहतर कोई और पढ़ता है,
वह अच्छा पढ़ता है,
क्यूंकि उसे कोई दुख पाटना नही पड़ता है

अनंत शक्ति

कितना बढिया अर्थ है,
कितनी बढिया है लिखावट ॥
पर, न शब्द दिखते हैं कहीं,
न शब्दकार का पता॥

कितना बढिया चित्र है,
कितनी बढिया है बनावट॥
पर न चित्र दिखता है कहीं,
न चित्रकार का पता ॥

महसूस पर होता रहा,
परिकल्पना बनती रही॥
प्रत्यक्ष पर दिखा नहीं,
और परोक्ष का क्या पता॥