मेरे मरने के बाद, प्रिय पाठको !! लीजिये एक और अनुभूति आपसे बांटता हूँ,
कल का चलन ??
आधुनिकता के उस दौर में, शायद तुम मुंडन भी न कराओ॥ तीसरे दिन, तुम व्यवसायी होने पर, दुकान खोलने की जल्दी मे रहोगे॥ और नौकरी पेशा होने पर, हाफ टाइम करने की कोशिश मे॥ जैसा भी हो, देख लेना ! सुविधा से, अस्थि विसर्जन॥
1 comment:
कितना उदार चिन्तन पीछे छूट जाने वालों के लिए.
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