Tuesday, August 30, 2016

सदैव, शाश्वत और मौन

करों से घिरे हम,
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष। 
कोसते  सरकारों को,
कभी नहीं सोचते !
लगता है कर
सिर्फ खरीदों हुई 
सेवाओं पर,
वस्तुओं के  विनमय पर। 

बहुत कुछ है मुफ्त 
होते हुए अनमोल 
माँ  का लाड़ , पिता की सीख 
मिली है मुफ्त,
इस युग में जब surrogacy
में पैदा हो रहे हैं 
बच्चे किराये से 
लेकर कोख,
देकर दर भी और कर भी। 

कर मुक्त ही क्या 
दर मुक्त है श्वांस 
नदियों  में बहता जल 
सुबह की धूप 
खलिहानों के फलक 
चिड़ियों का कलरव 
वो सब अब भी है मुफ्त
जब हैं बहुविकल्प-

बोतल बंद पानी, 
ऑक्सीजन cylinder,
विटामिन डी की गोलियां 
और एक ही जगह खड़े 
रहकर भागते रहने का  
आभाष कराने वाली  मशीन 
जिसमे दर भी है और कर भी। 

बहुत लंबी है 
फ़ेहरिस्त उन चीज़ों की 
जिस पर लगता है कर 
प्रत्यक्ष और अप्रयत्क्ष 
किन्तु उससे कहीं 
और कहने में अशेष 
है सूची,उस कृपा की 
जो निरत देती रहती है 
बिना दर और बिना कर 
सदैव, शाश्वत और मौन ।